Arshad R Shaikh
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अमन

14/8/2018

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लेखक: Arshad R Shaikh  संपादक: Daze J, Praisy H, Mukul S and Deepak D

'लेकिन आई....ल...लव...यू I' अलीना ने कहा।
उसकी गले से आवाज़ नहीं निकल रही थी I उसकी आँखे आंसुओ से भरी हुई थी। वो बस बहने के इंतज़ार में थे।
'आई लव यू टू।' शाह ने थोड़ी गंभीरता से कहा। 'लेकिन मेरे घरवाले और मैं तुमसे कुछ ओर चाहते है जो तुम हमे नहीं दे सकती। हर चीज़ की एक हद होती है और हमारे प्यार की ये हद है।
'तो हम क्या करे फिर?' अलीना ने पूछा।
अलीना को जवाब पता था लेकिन वह उम्मीद कर रही थी की शायद शाह मान जाये। उसकी ज़िन्दगी एक नया मोड़ लेने जा रही थी। वह उसके लिए तैयार नहीं थी। उसने शाह के साथ होने के लिए अपना सब-कुछ खोया था।
'तलाक.' शाह ने जवाब दिया।
वो आंसू जो अलीना की आँखों में जमा हो चुके थे अब बहने लग गए थे। किसी तरह उसने अपने रोने की आवाज़ को अपने अंदर दबाया।
 
आठ साल गुजर चुके थे। वो वार्तालाप अभी भी अलीना में कहीं बसा हुआ था। उसके विचार से, शाह गलत नहीं था। उसने भी ऐसा कुछ कभी किसी के साथ किया था जिससे उसने कभी प्यार किया था।
अलीना अज़ीज़, एक तीस साल की तलाकशुदा, तलाक के बाद अपनी अम्मी के साथ रहने लगी और पास ही के एक स्कूल में टीचर बन गयी।
वो अपना लेक्चर तैयार कर ही रही थी कि एक ईमेल आया। ईमेल उसकी कोचिंग से था। उसने पढ़ना शुरू ही किया था कि उसका फ़ोन बजने लगा। फ़ोन अंजली का था। अंजली उसकी दोस्त है जो उसके साथ उसी कोचिंग में पढ़ी थी।
'हे, कैसी है तू? क्या तू रीयूनियन में आ रही है?' अंजली ने पूछा।
अंजली बहुत ज्यादा उत्तेजित थी उस रीयूनियन में जाने के लिए क्यूंकि वो अपनी दोस्त अलीना से काफी समय से नहीं मिली थी। वो दोनों बस साल में एक-दो बार बात करते थे।
'मैं अच्छी हूँ। तू बता कैसी है? यार, मुझे नहीं लगता कि मैं रीयूनियन में आ पाऊँगी।' अलीना ने कहा।
तलाक के बाद अलीना कि ज़िन्दगी पूरी तरह से बदल चुकी थी। उसके रिश्तेदार और पडोसी उसे नीचा दिखाने का कोई बहाना नहीं छोड़ते थे। वह एक अमानवीय समाज में रह रही थी।
'तू मेरे साथ चल रही है। अगर तूने मना किया तो मुझसे कभी बात मत करना। तेरी एक ज़िन्दगी है। तो क्या हुआ जो तू एक तलाकशुदा है? बहुत लोग हैं इस दुनिया में। और मुझे ये मत बोलना कि तेरे रिश्तेदार क्या कहेंगे। मैं जानती हूँ कि तू उनकी बातें नजरअंदाज कर देती है। तुम एक बेहतरीन इंसान हो। मैं हमेशा से तुम जैसी बनना चाहती हूँ। लेकिन इस समय, तुम बस खुशियों से डरती हो।' अंजली ने अपनी आवाज़ ऊँची कर के कहा।
अंजली जानती थी कि अलीना को एक धक्के की जरूरत है। उसे पता था कि अगर आज अलीना तैयार नहीं हुई तो शायद वह फिर कभी नहीं होगी।
'ओके, मैं आ जाउंगी। अब शांत हो जा।' अलीना ने कहा।
'ठीक है फिर, मैं अपनी कार लेकर आउंगी और हम दोनों साथ चलेंगे।'
 
उन्होंने अपना सफर शुरू किया। कार में बैठते वक़्त भी अलीना पूरी तरह से तैयार नहीं थी। वह घबरा रही थी, इस बात से नहीं कि लोग क्या कहेंगे बल्कि इस बात से कि वह ज़ुबैद का सामना कैसी करेगी जिससे उसने बारह साल पहले चाहा था।
'तुझे लगता है वो वहां पर होगा?' अंजली ने पूछा।
'कौन? ज़ुबैद? मुझे नहीं पता।' अलीना ने जवाब दिया।
अलीना का जहन उससे सवाल पूछ रहा था: क्या वो शादीशुदा होगा? क्या वो मुझे पहचानेगा? अलीना इन सवालो के जवाब देना चाहती थी लेकिन जवाब उसे भी नहीं पता थे। और एक सवाल जो उसे चुभ रहा था, "क्या वो वहां पर होगा?" वह हाँ और ना में तय नहीं कर पा रही थी। वह ज़ुबैद के वहां होने की दुआ भी कर रही थी लेकिन उसका सामने करने की घबराहट अभी भी उसके मन में थी।
पांच घंटे के सफर के बाद वो दोनों वहां पहुंची। समारोह पहले से शुरू हो गया था। जैसे ही उन्होंने हॉल में प्रवेश किया, अलीना की नजरे ज़ुबैद को ढूंढ़ने लगी। उसके मन ने उससे मिलने का फैसला कर लिया था। उसकी घबराहट ने उसे ज़ुबैद का सामना करने की इज़ाज़त दे दी थी।
तालियों की गड़गड़ाहट ने अलीना का ध्यान भटकाया। अंजली कुछ कह रही थी लेकिन अलीना नहीं सुन रही थी क्यूंकि उसे ज़ुबैद नजर आ चूका था। वह उसकी तरफ देख रही थी। ज़ुबैद स्टेज पर था। ज़ुबैद कुछ कहने ही वाला था लेकिन अलीना को देखते ही वह रुक गया। कुछ पलों बाद सुने कहना शुरू किया।
'मैं हमारी कोचिंग के निर्देशक और सभी सदस्यों का शुक्रिया अदा करता हूँ जिन्होंने इस रीयूनियन का आयोजन करवाया। मैं आप सभी का शुक्रिया अदा करता हूँ जो यहाँ मेरी मदद, हमारी मदद करने आये। आज, मैं यहाँ खड़े होकर आप सभी से इस दुनिया को बेहत्तर बनाने की मदद मांगता हूँ और मैं यहाँ सिर्फ एक इंसान की वजह से हूँ वो है मेरा बेटा, अमन। जो प्यार उसने मुझे दिया उस प्यार ने मुझे बेहत्तर बनाया। मुझे तब एहसास हुआ कि हमे अपनी पीढ़ी को बदलने के लिए आने वाली पीढ़ी बदलनी होगी। यहाँ, मैं आज अपने NGO "प्यार की उम्मीद" की घोषणा करता हूँ। "प्यार की उम्मीद" एक ऐसी जगह है जहां शिक्षा उन्हें दी जाएगी जिन्हे इसकी जरूरत है; जहां उनकी एक नयी ज़िन्दगी बनाई जाएगी जिन्हे हमारे प्यार की जरूरत है; जहां से एक बेहत्तर दुनिया के बनने की शुरुआत होगी। शुक्रिया।' ज़ुबैद ने कहा।
फिर से एक बार तालियों की गड़गड़ाहट से हॉल गूंज उठा था। लेकिन सिर्फ अलीना ही ऐसी थी जो जानती थी कि ज़ुबैद अपने ख्वाब पुरे कर रहा है; कि ज़ुबैद उन दोनों के सजाये ख्वाबों को पा रहा है। अलीना उन पलों को याद कर रही थी जब उन दोनों ने एक भविष्य सजाया था। उस भविष्य में एक बेटा था जिसका नाम अमन था; उसमे एक NGO था। अलीना ये सब सोच ही रही थी कि उसकी धड़कने तेज हो गयी। सामने से ज़ुबैद उसकी तरफ चला आ रहा था। अलीना का दिल उसे बारह साल पीछे जाने को कह रहा था जब सब-कुछ खूबसूरत था; जब सब-कुछ उनका था; जब सब-कुछ प्यार से भरा था; जब सब-कुछ संगीतमय था।

(एक लड़का गा रहा है)
तेरी नजर जो, देखे मुझे तो, जागे है मुझमें ख्वाइशें,
उड़े जो ज़ुल्फ़ें, हवा में तेरी, तो धुन सुनाये मुझे धड़कने,
आवारा मन खोने लगा है,
कुछ बेवजह-सा होने लगा है,
तेरे इश्क़ में, हो रहा हूँ मैं खुद से जुदा,
तेरे इश्क़ में, आवारा मन खोने लगा। 
    
 
पास से गुजरे तू मेरे तो, लगे कि जन्नत की खुशबू है,
छूले जो हल्का-सा तू मुझे तो, होता हवा में जादू है,
नींदे ख्वाबों से जुड़ने लगी है,
नमी आँखों से उड़ने लगी है,
तेरे इश्क़ में, हो रहा हूँ मैं खुद से जुदा,
तेरे इश्क़ में, आवारा मन खोने लगा। 

 
(लड़की गा रही है)
इशारों इशारों में बातें हैं, कहने में आखिर क्यूँ डर है,
धड़कन है गाती तेरे गीत, जुबां पे आने में क्यूँ डर है,
खोकर तेरी बाँहों में, शामें अपनी सजा लूँ मैं,
हाथ अगर तू थाम ले उस पल में सदियाँ बिता दूँ मैं,
तेरे इश्क़ में, हो रही हूँ मैं खुद से जुदा,
तेरे इश्क़ में, आवारा मन खोने लगा। 

 
(बारह साल पहले)
हर दिन अलीना और ज़ुबैद एक गली से गुजरते थे और उनकी आँखों ही आँखों में बात होती थी I आखिर एक दिन ज़ुबैद अलीना के पास आया और कहने लगा I
'हे, मेरा नाम ज़ुबैद है। मैं वो लड़का हूँ जो तुम्हे पिछले तीस दिनों से देख रहा है।'
'हे, मेरा नाम अलीना है। मुझे वो लड़का पसंद है जो मुझे देखता है।' अलीना ने कहा।
'क्या तुम मेरे साथ कॉफ़ी पीने चलोगी?' ज़ुबैद ने पूछा।
'हाँ, क्यों नहीं !' अलीना ने जवाब दिया।
उनके खामोश प्यार की कहानी अब एक नयी अद्भुत कहानी बन रही थी। उन्होंने अपने प्यार की शुरुआत पास के एक कैफ़े से की।
'तुम यहाँ PMT की तैयारी करने आयी हो या IIT की ?' ज़ुबैद ने पूछा।
'PMT' अलीना ने कहा। 'और तुम?'
'IIT' ज़ुबैद ने जवाब दिया।
दिन गुजरते गए और वो दोनों हर दिन उस कैफ़े में मिलने लगे। धीरे-धीरे वो एक दूसरे को जानने लगे। कुछ दिनों बाद अलीना की दोस्त अंजली भी उनके साथ कैफ़े में मिलने लगी। वो तीनो एक दूसरे के गहरे दोस्त बन गए।
'चलो यार अलीना, कक्षा के लिए देर हो रही है। और तुम भी ज़ुबैद अपनी कक्षा में जाओ।' अंजली ने कहा।
'थोड़ी देर और रुक जा यार।' अलीना ने कहा।
'आई हेट यू,  अंजली। तू यार हमारे घरवालों की तरह बात करती है।'  ज़ुबैद ने अंजली की तरफ मुस्कुराते हुए कहा। फिर अलीना और ज़ुबैद ने एक दूसरे की तरफ देखा और हंसने लगे।
'तुम जाओ, अंजली। मैं अगली कक्षा में आ जाउंगी।'  अलीना ने कहा।
अंजली कैफ़े छोड़कर चली गयी।
'तुम्हारे घरवाले क्या करते है?' ज़ुबैद ने पूछा।
'मेरी अम्मी एक स्कूल में टीचर है और मेरे पापा हमेशा घर पे रहते है क्यूंकि वो बहुत बीमार है।' अलीना ने जवाब दिया। 'तुम्हारे घरवाले क्या करते है?' अलीना ने पूछा।
'मेरे पापा का एक कंप्यूटर सेन्टर है और मेरी अम्मी एक गृहिणी है।' ज़ुबैद ने कहा।
'घरवालों के बारे में बहुत हो गया, अब हम हमारी बात करते है।' ज़ुबैद ने कहा।
'ठीक है। मैं आगे चलकर एक बहुत अच्छी डॉक्टर बनना चाहती हूँ और तुमसे शादी करना चाहती हूँ। और बस एक बेटा चाहिए मुझे जिसका नाम अमन रखेंगे।' अलीना ने कहा।
'अच्छा प्लान है। मैं एक टीचर बनना चाहता हूँ और बाद में एक NGO खोलना चाहता हूँ 
जिसमे जरूरतमंद पढ़ सके।' ज़ुबैद ने कहा।
चार महीने गुजर गए। वो सभी पढाई में बहुत विलीन हो गए क्यूंकि एग्जाम बहुत पास थे। अलीना अपनी पढाई में ज्यादा ध्यान नहीं दे पा रही थी क्यूंकि उसके पापा की हालत बिगड़ती जा रही थी। एग्जाम से कुछ दिन पहले ज़ुबैद अलीना से मिलने कैफ़े में गया लेकिन वो वहां नहीं थी।
'हे अंजली, अलीना कहाँ है?' ज़ुबैद ने पूछा।
'क्या हम बैठकर बात करे? मुझे कुछ महत्वपूर्ण बात तुम्हे बतानी है।' अंजली ने कहा।
'क्यों, क्या हुआ?' ज़ुबैद ने पूछा।
'अलीना जा चुकी है और वो वापस नहीं आ रही। वो शादी करने जा रही है क्यूंकि ये उसके पापा की आखरी इच्छा है कि वो उसे दुल्हन के रूप में देखे।' अंजली ने कहा।
'नहीं। ये हो ही नहीं सकता। अलीना से में दो दिन पहले ही मिला था। ये गलत है।' ज़ुबैद ने सदमे में कहा।
'ये गलत नहीं है लेकिन हाँ, ये सही भी नहीं है। गलत और सही के बीच एक पतली रेखा होती है जिसे समझना मुश्किल है। अब जो है यही है।' अंजली ने उसे समझाने की कोशिश की।
'वो किसी और से शादी नहीं कर सकती। वो मुझसे प्यार करती है। हमने मिलकर प्लान बनाया था। मैं अभी उसके घर जाकर उसे रोकता हूँ।' ज़ुबैद ने कहा और वहां से जाने लगा।
'ये सही समाधान नहीं है। तुम्हे उसे जाने देना होगा।' 
अंजली ने उसका हाथ पकड़ा और उसे बैठाकर बोला।
'आई हेट यू, अंजली। अब तुम यहाँ से जाओ।' ज़ुबैद ने गुस्से में कहा।
 
(बारह साल बाद)
'मुझे उम्मीद थी कि तुम आओगी। तुम्हे देखकर अच्छा लगा।' ज़ुबैद ने कहा।
'मुझे भी, कैसे हो तुम?' अलीना ने पूछा।
अलीना उससे वो हर सवाल पूछना चाहती थी जो उसके दिमाग में यहाँ आने से पहले थे। लेकिन वो अपना सच बताने से भी डरती थी।
'अगर तुम बुरा ना मानो तो चलते चलते बात करे।' ज़ुबैद ने पूछा।
'ठीक है।' अलीना ने जवाब दिया।
वो हॉल से बहार निकले और कैफ़े की तरफ बढ़ने लगे। उनके बीच की ख़ामोशी अजीब सा माहौल बना रही थी।
'तुम क्या करती हो?' ज़ुबैद ने चुप्पी तोड़ते हुए पूछा।
'मैं एक टीचर हूँ। मैंने PMT का एग्जाम नहीं दिया तो डॉक्टर नहीं बन पायी। तुम बताओ, तुम क्या करते हो? क्या तुमने IIT  का एग्जाम पास किया?' अलीना ने पूछा।
'हाँ, लेकिन मैंने प्रवेश नहीं लिया। मैं यहीं अपनी कोचिंग में टीचर बन गया।' ज़ुबैद ने कहा। 'तुम्हारे पति कैसे है?'
ज़ुबैद ने आखिर में पूछ लिया और पूछते ही जो अजीब सा माहौल था वो जा चूका था।
'मेरा तलाक हो चूका है। मेरे पति ने मुझे आठ साल पहले छोड़ दिया। तब से मैं अपनी अम्मी के साथ ही रह रही हूँ।' अलीना ने कहा। 'तुम बताओ, तुम्हारे पास तो आज अमन और NGO  दोनों है। तुमने तो अपने ख्वाब पूरे कर लिए।' अलीना ने मुस्कुराते हुए कहा।
'मैं भी तलाकशुदा हूँ।' ज़ुबैद ने कहा।
ज़िन्दगी उन्हें एक दूसरा मौका दे रही थी। प्यार फिर से उन गलियों की हवा में था। सब-कुछ वैसा ही होने जा रहा था जैसे बारह साल पहले था। वो दोनों वापस हॉल में लौट कर आये।
'कहाँ थी तुम?' अंजली ने अलीना से पूछा।
'हे अंजली।' ज़ुबैद ने कहा।
'ओह हे, ज़ुबैद। मुझे माफ़ करना मैंने तुम्हे देखा नहीं। तुमने बहुत अच्छा भाषण दिया।' अंजली ने कहा।
'शुक्रिया, अंजली। सुनो, मैं तुमसे माफ़ी मांगना चाहता हूँ मेरे उस बर्ताव के लिए जो मैंने सालो पहले किया था। मुझे उम्मीद है कि तुम मुझे माफ़ कर दोगी।' ज़ुबैद ने कहा।      
'ये तो बहुत पुरानी बात है। चलो मैंने तुम्हे माफ़ किया।' अंजली ने मुस्कुराते हुए कहा।
फिर से वहां पर वहीं तीनो थे। बहती हुई हवा उनसे कह रही थी कि कुछ नहीं बदला है लेकिन उनके दिलो में उन्हें पता था कि सब-कुछ बदल गया है। ये एक नया युग आ चूका है; ये एक नई ज़िन्दगी है।
'मैं कल एक बजे एक लंच पार्टी दे रहा हूँ। मैं उम्मीद करता हूँ कि तुम भी वहां होगी।' ज़ुबैद ने अलीना से पूछा। 'और अंजली तुम भी आ जाना चाहे आई हेट यू!'
ज़ुबैद ने मुस्कुराते हुए कहा और फिर वो तीनो जोर से हंसने लगे।
अलीना को अब पता था कि वो भी तलाकशुदा है लेकिन अभी भी वो उसे बताने को तैयार नहीं थी कि उसका तलाक क्यों हुआ? उसे डर था कि ज़ुबैद का प्यार वो फिर से खो देगी अगर उसने सच्चाई बताई तो।
'हम वहां पहुँच जायेंगे।' अलीना ने कहा।
अगले दिन, अलीना और अंजली दोनों ज़ुबैद के घर पहुंचे। अमन भी वहीँ पर था। अलीना अमन से बात करने लगी। ज़ुबैद अलीना को उसी तरह निहारने लगा जैसे वो पहले निहारता था। अलीना को ऐसा लग रहा था कि शायद वो उससे शादी करने के लिए पूछेगा। अलीना के लिए ये सब इतना आसान नहीं था। लंच के बाद, ज़ुबैद अलीना के पास आया और कहने लगा।
'वो मेरी गलती थी कि पहले मैंने तुम्हे जाने दिया। हम प्लान बनाते है ये जानते हुए भी कि ज़िन्दगी हर बार हमे वो चीज़ नहीं देती जो हम चाहते हैं। मैं तुम्हे चाहता हूँ। मुझे बहुत ख़ुशी है कि तुम यहाँ हो। अचानक से मिलने वाली ख़ुशी प्लान की गयी ज़िन्दगी से बेहतर है। आज हम दोनों तलाकशुदा है तो मैं चाहता हूँ....'
'बस यहीं ठहर जाओ। इसके आगे मत बोलो। मैं ये नहीं कर सकती।' अलीना ने कहा।
'सुनो अलीना, मैं तुमसे प्यार करता हूँ और तुमसे शादी करना चाहता हूँ।' ज़ुबैद ने कहा।
'नहीं, मैं ये नहीं कर सकती।' अलीना ने चिल्लाते हुए कहा। 'तुम नहीं समझोगे लेकिन मैं ये नहीं कर सकती।'
अलीना की आवाज़ धीरे धीरे कम होने लगी और फिर उसकी आँखों से आंसू बहने लगे। उसने उसी वक़्त उस जगह को छोड़ दिया।
ज़ुबैद की ख़ुशी कहीं गुम हो गयी थी। वो फिर से कहानी के उसी पन्ने पर आ चूका था जहाँ वो बारह साल पहले था। सभी ज़ुबैद की तरफ देख रहे थे। अंजली और अमन दोनों ने अलीना का पीछा किया।
'आपकी समस्या क्या है? आप मेरी तरफ देखिये; वो आपसे प्यार करते है। वो कल रात आपकी कहानी मुझे सुना रहे थे। आपने भी तो कभी उनसे प्यार किया था। तो समस्या क्या है?' अमन ने बहुत ही शांत स्वभाव से पूछा।
'तुम नहीं समझोगे, तुम अभी बच्चे हो।' अलीना ने कहा।
'कोशिश तो कीजिये।' अमन ने अपनी बात पर थोड़ा जोर दिया।
'समस्या ये है कि मैं कभी किसी बच्चे को जन्म नहीं दे सकती। इसीलिए मेरे पति ने मुझे छोड़ दिया और इसीलिए मैं ज़ुबैद के साथ शादी नहीं कर सकती।' अलीना ने कहा।
अलीना की आँखों से आंसू नहीं रूक रहे थे। उसके कंधे झुक गए थे। वो पूरी तरह से टूट गयी थी। उसने आठ साल का दर्द एक वाक्य में निकाल दिया था। ये उसका सच था और वो अभी भी इससे डर रह रही थी।
‘जब मैं सात साल का था तब मेरे पापा ने एक अनाथालय से मुझे गोद लिया। उन्होंने मुझे प्यार दिया; एक नाम दिया; एक नयी ज़िन्दगी दी। लेकिन मेरे पापा की पत्नी कभी मुझे प्यार नहीं दे पायी। वो अपना खुद का बच्चा चाहती थी लेकिन मेरे पापा ने मना कर दिया। ये उनके लिए आसान कदम नहीं था। उन्हें मेरे और उनकी पत्नी के बीच चुनना पड़ा और उन्होंने मुझे चुना।ये समस्या जो आप मुझे बता रही है, ये आपकी कहानी नहीं है। आप बस डरती है कि मेरे पापा आप को भी उसी तरह छोड़ देंगे जैसे आपके पिछले पति ने आपको छोड़ा। लेकिन याद रखना,  हर किसी की एक कहानी होती है और हर कहानी का एक हीरो होता है। मेरे पापा मेरी कहानी के हीरो है और आप अपनी कहानी की।' अमन ने कहा।
अलीना के आंसू रुक चुके थे। अमन मुड़कर अपने घर की तरफ चलने लगा और फिर वो मुड़ा और उसने कहा।
'अगर आप किसी बच्चे को जन्म नहीं दे सकती तो इसका मतलब ये नहीं है कि आप किसी बच्चे को पाल नहीं सकती।'
जैसे ही अलीना ने अमन की ये बात सुनी उसके लिए सब कुछ रुक चूका था। हवा उसके कानो को छूकर गुजर रही थी लेकिन कुछ कह नहीं रही थी। उसके दिमाग में ज़ुबैद के साथ बिताया हर पल गुजरने लगा। उसने अपनी आँखे बंद की। उसके झुके हुए कंधे अब उसे घुटनो के बल गिराना चाहते थे लेकिन अंजली ने उसे उसी वक़्त गले लगा लिया।
'हमें लगता है कि हम प्यार को समझते है लेकिन नहीं। प्यार हमारी समझ से बाहर है। अब मुझे लगता है कि प्यार एक ज़िन्दगी भर की तलाश है और हमे ज़िन्दगी भर इसकी खोज करनी चाहिए।' अलीना ने अंजली से कहा।
अलीना ने अपनी आँखे खोली। ज़ुबैद उसके सामने खड़ा था। अंजली ने दोनों को अकेला छोड़ दिया। अलीना ने ज़ुबैद का हाथ थामा और उसकी आँखों में देखते हुए कहा,
'मैं प्यार को समझने की कोशिश करुँगी और हाँ, मैं एक दिन तुमसे शादी भी करुँगी।'
13 Comments
Priyanka Sinha
15/8/2018 02:27:05 am

Such an amazing initiative Arshad
So proud of you

Happy Independence Day 🇮🇳

Reply
Arshad R Shaikh
15/8/2018 02:34:07 am

Thank you.

Reply
Zainab shaikh
15/8/2018 02:33:13 am

Really nice bro...
Happy independence day

Reply
Arshad R Shaikh
15/8/2018 02:35:02 am

Thank you sis.

Reply
Abid Khan
15/8/2018 02:44:26 am

Nice👌

Reply
Arshad R Shaikh
15/8/2018 02:46:19 am

Thank you

Reply
Ananya
15/8/2018 02:53:41 am

You are the best sir! The amount of work you put into everything is just wow!

Reply
Arshad R Shaikh
15/8/2018 03:26:57 am

Thank you Ananya

Reply
Jawed Akhter
15/8/2018 03:09:45 am

Very nice, something in the past but divorce is not a solution. Beautifully portrait.

Reply
Arshad R Shaikh
15/8/2018 03:26:21 am

The next chapter will clarify everything.

Reply
Sachin jangir
15/8/2018 04:40:26 am

Very nice veer ji

Reply
Aman
15/8/2018 05:05:00 am

Sir bohot accha likha hai

Reply
Mukul
15/8/2018 11:35:19 am

Well done! Waiting for the second part eagerly.

And happy Independence day!

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